बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचन एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचन
प्रश्न- कला एवं कलाकार की स्वतंत्रता के सम्बन्ध में मार्क्सवाद की क्या मान्यता है?
उत्तर -
मार्क्सवादी कला एवं कलाकार की स्वतंत्रता का निषेध करते हैं। उनकी मान्यता है कि वैयक्तिक स्वतंत्रता भ्रमपूर्ण है। अतः कलाकार की स्वतंत्रता भी महत्वहीन है। न व्यक्ति कभी स्वतंत्र होता है न उनकी इच्छाएँ कभी स्वतंत्र होती, मनुष्य परिस्थितियों का दास होता है। वह जिस वातावरण में रहता है उसकी स्थिति भी कुछ उसी प्रकार हो जाती है। व्यक्ति चूँकि समाज से जुड़ा रहता है इसलिए उसके व्यक्तित्व के निर्माण में सामाजिक परिस्थितियाँ जिम्मेदार होती हैं। मार्क्सवाद साहित्य में सामाजिक मूल्यों की अनिवार्यता का मूल्यांकन जनवादी धरातल पर करना चाहते हैं। क्योंकि कला का कार्य ही सम्पूर्ण जीवन एवं परिवेश का मूल्यांकन कर उसका व्याख्या करना है। वे जीवन से आँख बचाकर नहीं जाना चाहते हैं। बल्कि जीवन को उसकी पूर्णता में रागात्मक निरीक्षण और अनुभूति का विषय बनाकर कलाकार के काम को सम्बन्धित कराना चाहते हैं।
मार्क्सवाद की उपरोक्त धारणा पर टिप्पणी करते हुए डॉ. देवराज सिंह लिखते हैं कि-
"जहाँ तक मार्क्सवाद कतिपय महत्वपूर्ण वास्तविकताओं की ओर हमारा ध्यान ले जाता है, वहाँ तक दृष्टि प्रसारक होने के कारण ग्राह्य है। इसके अतिरिक्त वाद के रूप में वह कलाकार की दृष्टि को सीमित या बद्ध करेगा ऐसी आशंका है। मार्क्सवाद का अनुयायी बनकर जो कलाकार प्रवृत्ति दाम्पत्य जीवन एवं माँ और शिशु के सम्बन्ध में सौन्दर्य को देखने से इन्कार करेगा, वह स्वयं अपनी दृष्टि में कला के उन्मेष में बाधक होगा। साथ ही हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि पीड़ित मानवता के क्रन्दन की ओर से नेत्र और कान मूँदकर हमें सभ्यता और कला का कोई उत्कर्ष नहीं कर सकते।'
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- प्रश्न- आलोचना को परिभाषित करते हुए उसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकासक्रम में आचार्य रामचंद्र शुक्ल के योगदान की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की आलोचना पद्धति का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. नगेन्द्र एवं हिन्दी आलोचना पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- नयी आलोचना या नई समीक्षा विषय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन आलोचना पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन आलोचना पद्धति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आलोचना के क्षेत्र में काशी नागरी प्रचारिणी सभा के योगदान की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- नन्द दुलारे वाजपेयी के आलोचना ग्रन्थों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हजारी प्रसाद द्विवेदी के आलोचना साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रारम्भिक हिन्दी आलोचना के स्वरूप एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पाश्चात्य साहित्यलोचन और हिन्दी आलोचना के विषय पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक काल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद से क्या तात्पर्य है? उसका उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए उसकी प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना पद्धतियों को बताइए। आलोचना के प्रकारों का भी वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद के अर्थ और स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद की प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख भर कीजिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद के व्यक्तित्ववादी दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद कृत्रिमता से मुक्ति का आग्रही है इस पर विचार करते हुए उसकी सौन्दर्यानुभूति पर टिप्णी लिखिए।
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- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद में 'अभ्दुत तत्त्व' के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए इस कथन कि 'स्वच्छंदतावादी विचारधारा राष्ट्र प्रेम को महत्व देती है' पर अपना मत प्रकट कीजिए।
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- प्रश्न- 'स्वच्छंदतावाद प्रचलित मान्यताओं के प्रति विद्रोह करते हुए आत्माभिव्यक्ति तथा प्रकृति के प्रति अनुराग के चित्रण को महत्व देता है। विचार कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक साहित्य में मनोविश्लेषणवाद के योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कार्लमार्क्स की किस रचना में मार्क्सवाद का जन्म हुआ? उनके द्वारा प्रतिपादित द्वंद्वात्मक भौतिकवाद की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- ऐतिहासिक भौतिकवाद को समझाइए।
- प्रश्न- मार्क्स के साहित्य एवं कला सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- साहित्य समीक्षा के सन्दर्भ में मार्क्सवाद की कतिपय सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- साहित्य में मार्क्सवादी दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मनोविश्लेषणवाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- मनोविश्लेषवाद की समीक्षा दीजिए।
- प्रश्न- समकालीन समीक्षा मनोविश्लेषणवादी समीक्षा से किस प्रकार भिन्न है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्सवाद की दृष्टिकोण मानवतावादी है इस कथन के आलोक में मार्क्सवाद पर विचार कीजिए?
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- प्रश्न- "साहित्य सामाजिक चेतना का प्रतिफल है" इस कथन पर विचार करते हुए सर्वहारा के प्रति मार्क्सवाद की धारणा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्क्सवाद सामाजिक यथार्थ को साहित्य का विषय बनाता है इस पर विचार करते हुए काव्य रूप के सम्बन्ध में उसकी धारणा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्क्सवादी समीक्षा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कला एवं कलाकार की स्वतंत्रता के सम्बन्ध में मार्क्सवाद की क्या मान्यता है?
- प्रश्न- नयी समीक्षा पद्धति पर लेख लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक समीक्षा पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'समीक्षा के नये प्रतिमान' अथवा 'साहित्य के नवीन प्रतिमानों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
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- प्रश्न- ऐतिहासिक आलोचना के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के सैद्धान्तिक दृष्टिकोण व व्यवहारिक दृष्टि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शुक्लोत्तर हिन्दी आलोचना एवं स्वातन्त्र्योत्तर हिन्दी आलोचना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के योगदान का मूल्यांकन उनकी पद्धतियों तथा कृतियों के आधार पर कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में नन्ददुलारे बाजपेयी के योगदान का मूल्याकन उनकी पद्धतियों तथा कृतियों के आधार पर कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचक हजारी प्रसाद द्विवेदी का हिन्दी आलोचना के विकास में योगदान उनकी कृतियों के आधार पर कीजिए।
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- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में डॉ. रामविलास शर्मा के योगदान बताइए।